गुप्त नवरात्रि और माला सिद्धि विधान-2
- Rajeev Sharma
- Dec 24, 2019
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Updated: Aug 8
माला सिद्धि विधान
इस विधान के प्रयोग से जो माला आप सिद्ध करेंगे वह आपके पूरे जीवनभर काम आयेगी । आप किसी भी साधना में उस माला का प्रयोग कर सकते हैं, प्रत्येक बार साधना के पश्चात इस माला की ऊर्जा में उत्तरोत्तर वृद्धि ही होती है । ये माला तो एक सौभाग्य है और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक धरोहर है ।
सर्वप्रथम पूजन स्थल को भली भांति स्वच्छ जल से साफ़ कर ले,और उत्तर दिशा की और मुख कर सके,ऐसे स्थान का चयन कर ले ।
वस्त्र व आसन लाल रंग के होंगे ।
सामने बाजोट पर भी लाल रंग का वस्त्र बिछा दें ।
समय रात्रि का दूसरा प्रहर अर्थात १० बजे से ३ बजे के मध्य का होगा ।
स्नान कर वस्त्र धारण कर अपने आसन पर बैठ जाएँ ।
पूजन सामग्री में मुख्यतः कुंकुम मिश्रित १ किलो अक्षत (साबुत चावल), तेल का दीपक (जो भी आप पूजन के लिए प्रयुक्त करते हों), भोज पत्र या सफ़ेद कागज़ का टुकड़ा, रक्त पुष्प, ६ निम्बू, ४ नारियल, पान का पत्ता (रोज नया) और नहीं मिले तो पूजा की सुपारी, नया चाकू, कुंकुम, ९ इलायची, २७ लोंग, छोटे छोटे ९ लाल वस्त्र के रुमाल जैसे टुकड़े, ताम्बे का जल पात्र, दूध की मिठाई या मिश्री, कोई भी फल ।
जिस माला को आप सिद्ध करना चाहते हैं (रुद्राक्ष, स्फटिक, हकीक सफ़ेद,पीला या लाल, मूंगा, कमलगट्टे की माला का प्रयोग करना बेहतर है) ।
गुरु मंत्र जप करने के लिए अपनी गुरु माला का प्रयोग किया जाना उचित है । अर्थात सिद्ध करने के लिए अलग और गुरु मंत्र जप के लिए अलग माला का प्रयोग करना है । ये बात बार - बार बताना उचित नहीं होगा ।
बाजोट (इसे चौकी भी कहते हैं) पर गुरु चित्र, गुरु यन्त्र, गणपति,यन्त्र या चित्र की स्थापना कर, "ॐ" का पूर्ण रूप से ५ बार उच्चारण करें तथा सदगुरुदेव और भगवान गणपति का पूर्ण पंचोपचार विधि से पूजन करें । गुरु मंत्र की कम से कम ४ माला संपन्न करें और १ माला तांत्रोक्त गणपति मंत्र की संपन्न करें ।
गुरु मंत्र