अष्टक वर्ग में शुभ रेखाओं का फल
सदगुरुदेव ने प्रत्येक ग्रह के अष्टक वर्ग में प्राप्त होने वाली शुभ रेखाओं का विवेचन निम्न प्रकार से किया है ।
सूर्याष्टक वर्ग
एक या एक से अधिक रेखाओं से संपन्न (अपने अष्टक वर्ग में) सूर्य निम्न फल देता है -
एक रेखाः यदि सूर्याष्टक वर्ग में सूर्य को केवल एक ही शुभ रेखा मिली हो तो यह कई प्रकार की बीमारियां देता है, प्रत्येक कार्य में बाधा, अड़चन एवं विलंब प्रदान करता है तथा, सूर्य की वजह से वह जातक व्यर्थ ही इधर - उधर भटकता रहता है ।
दो रेखायेंः दो रेखा युक्त सूर्य हो तो अपने परिवार में मतभेद बने रहते हैं । वह अनुकूल कार्य करे, फिर भी लोग उस पर शक करते हैं । राज्य सेवा में बाधायें एवं कठिनाइयां आती हैं, तथा आर्थिक दृष्टि से कमजोर रहता है ।
तीन रेखायेंः मानसिक परेशानियां रहती हैं तथा शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है । प्रत्येक कार्य के प्रारंभ में कठिनाइयां एवं बाधायें आती हैं ।
चार रेखायेंः चार रेखा से युक्त सूर्य का फल मिश्र होता है, उसके जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं । बार-बार खुशी एवं गम के अवसर बनते रहते हैं । एक बार लाभ हो जाता है, तो अगली ही बार हानि का अवसर उपस्थित हो जाता है ।
पांच रेखायेंः जातक को अनायास ही सहयोग मिलने लग जाता है । शिक्षा पूर्ण होती है, संतान सुख पूर्ण होता है पर संतान संख्या कम ही होती है । अधिकतर एक या दो संतान होती हैं ।
छह रेखायेंः जिस जातक के सूर्याष्टक वर्ग में सूर्य के पास 6 शुभ रेखायें हो, उस जातक का स्वास्थ्य उत्तम होता है तथा प्रभावशाली व्यक्तित्व होने के कारण वह सहज ही लोगों का आकर्षण पात्र बन जाता है । वाहन सुख पूर्ण होता है । तथा प्रसिद्धि एवं ख्याति के मामले में सौभाग्यशाली सिद्ध होता है ।
सात रेखायेंः अत्यंत उच्च प्रभावशाली एवं भाग्यवान होता है तथा, आशातीत सम्मान, प्रतिष्ठा एवं आदर प्राप्त होता है ।
आठ रेखायेंः श्रेष्ठ राजनीति सम्मान तथा राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त होता है एवं, जीवन में समस्त सुखों का उपभोग करता है ।
किसी भी अष्टक वर्ग में एक ग्रह कम-से-कम शून्य या एक रेखा तथा ज्यादा-से-ज्यादा आठ शुभ रेखायें ही प्राप्त कर सकता है । इसलिए सदगुरुदेव ने एक से आठ रेखा प्राप्ति तक का ही विवेचन किया है ।
सदगुरुदेव ने सूर्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य स्पष्ट किये हैं -
सूर्याष्टक वर्ग में मेष इत्यादि राशियों में जिस प्रकार रेखायें हों, गोचर में सूर्य उन राशियों में आने पर उसके अनुसार फल देगा ।
उदाहरण कुंडली (सियाराम कुमार) का सूर्याष्टक वर्ग देखें, उसमें रेखा स्थिति निम्न प्रकार से हैं -
सियाराम कुमार के सूर्याष्टक वर्ग का फल
सियाराम कुमार की कुंडली में, गोचर में जब भी सूर्य वृष राशि पर आयेगा तो सूर्य के प्रभाव के फलस्वरूप उनको उत्तम सुख प्राप्त होंगे । वाहन सुख पूर्णता से मिलेगा । समाज में मान - सम्मान मिलेगा और सहज ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जायेंगे । स्वास्थ्य भी उत्तम कोटि का रहेगा ।
पर जब सूर्य, कर्क राशि में गोचर वश आयेगा तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में उलझे रहेंगे । किसी भी काम में मन नहीं लगेगा, लगातार बाधाओं का सामना करना पडे़ेगा और अधिकतर समय भटकने में ही गुजरेगा ।
सूर्यादि ग्रहों से संबंधित अनेकों महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो समझने चाहिए ताकि फलकथन में किसी प्रकार की न्यूनता न रहे । हालांकि अभी हम अष्टक वर्ग की गणना में भी नहीं उतरे हैं, इसलिए उचित यही होगा कि जब हम गणना करना सीखें, उसी समय प्रत्येक ग्रह से संबंधित जानकारी भी पोस्ट की जाए ।
चंद्र अष्टक वर्ग
सदगुरुदेव ने बताया है कि अपने स्वयं के चंद्राष्टक वर्ग में जितनी शुभ रेखायें हों, उनका फल निम्न प्रकार से समझना चाहिए -
एक शुभ रेखाः बदनामी एवं घोर चिंता
दो शुभ रेखायेंः बीमारी, माता की स्वास्थ्य क्षीणता
तीन शुभ रेखायेंः सामान्य अनुकूलता
चार शुभ रेखायेंः गृह सुख, अनुकूलता
पांच शुभ रेखायेंः मानसिक शांति, आत्मबल, चारित्रिक दृढ़ता
छह शुभ रेखायेंः मस्तिष्क-उर्वरता, उच्च आदर्श एवं मौलिकता
सात शुभ रेखायेंः श्रेष्ठ सदगुणों से युक्त दिव्यता
आठ शुभ रेखायेंः उच्चादर्श, पूर्ण सुखी एवं समृद्ध जीवन, पूर्णता एवं प्रसन्नता
भौमाष्टक वर्ग (मंगल अष्टक वर्ग)
भौमाष्टक वर्ग में रेखाओं का फल निम्न प्रकार समझना चाहिए -
एक शुभ रेखाः शारीरिक कमजोरी या अंगभंग, निर्बलता
दो शुभ रेखायेंः एकांतवासी होना, असत्यभाषी, बाधाओं एवं परेशानियों से घिरे रहना
तीन शुभ रेखायेंः कठोर जीवन बिताने को बाध्य होना, झूठा लांछन लगाना, कथनी और करनी में अंतर होना
चार शुभ रेखायेंः सम, अच्छा और बुरा दोनों
पांच शुभ रेखायेंः सहायता प्राप्त होना, अप्रत्याशित लाभ, विजय, शत्रु परास्त होना
छह शुभ रेखायेंः पूर्ण विजय, राज्य कृपा एवं मित्रों से सहयोग
सात शुभ रेखायेंः पारिवारिक सहयोग, भाइयों से विशेष लाभ, आर्थिक लाभ
आठ शुभ रेखायेंः पूर्ण सफलता, धनी, भूमि लाभ, कृषि लाभ, शत्रुओं पर विजय तथा जीवन में ख्याति, सम्मान मिलना
बुधाष्टक वर्ग
बुधाष्टक वर्ग में रेखाओं के आधार पर बुध का निम्न रुपेण फल समझना चाहिए -
जीरो शुभ रेखाः कायर, अनिश्चय मनःस्थिति वाला
एक शुभ रेखाः हानि, कष्ट
दो शुभ रेखायेंः प्रत्येक कार्य में बाधा या असफलता, पारिवारिक मतभेद एवं जीवन यापन में कठिनाइयां
तीन शुभ रेखायेंः मान-हानि, धन-हानि, आकस्मिक रुप से अर्थ-हानि
चार शुभ रेखायेंः नौकरी में कठिनाइयां, व्यापार में भारी उतार-चढ़ाव का सामना करना
पांच शुभ रेखायेंः अधिक से अधिक लोगों का सहयोग, तथा दूसरों को अपने पक्ष में करने की सामर्थ्य
छह शुभ रेखायेंः अनुभवी, लक्ष्य पर शीघ्रता से अग्रसर होने की क्षमता, तथा कार्य में सफलता
सात शुभ रेखायेंः पूर्ण सम्मान, उत्तम सामाजिक आदर, श्रेष्ठ धन संपत्ति एवं सुख
आठ शुभ रेखायेंः राज्य कृपा, पूर्ण भौतिक सुख एवं दिनों दिन सम्मान वृद्धि
गुरु अष्टक वर्ग
निम्न रेखाओं के अनुसार गुरु का फल विचार करना चाहिए -
0 शुभ रेखाः कुटुम्ब के साथ मतभेद, पारिवारिक विरोध
एक शुभ रेखाः कमजोर स्वास्थ्य एवं मानसिक परेशानियां
दो शुभ रेखायेंः राज्य की तरफ से चिंता, नौकरी में बार - बार बाधा एवं कठिनाइयां
तीन शुभ रेखायेंः ज्ञान हानि एवं स्मरण शक्ति में कमजोरी
चार शुभ रेखायेंः सामान्य, न लाभ न हानि
पांच शुभ रेखायेंः शत्रु विजय, मुकदमे में सफलता
छह शुभ रेखायेंः पूर्ण वाहन सुख एवं धनी व्यक्तियों से लाभ
सात शुभ रेखायेंः पूर्ण भाग्योदय एवं प्रसन्नता
आठ शुभ रेखायेंः विख्यात, कीर्ति युक्त, धनी, श्रेष्ठ एवं दयालु
शुक्र अष्टक वर्ग
शुक्राष्टक वर्ग का विचार निम्न रेखाओं के आधार पर करना चाहिए -
0 शुभ रेखाः आकस्मिक दुर्घटना
एक शुभ रेखाः श्वास संबंधी बीमारी
दो शुभ रेखायेंः मानसिक परेशानियां, अकारण भाग-दौड़ एवं कठिनाइयां
तीन शुभ रेखायेंः पारिवारिक मतभेद एवं अधिकारियों से मनमुटाव
चार शुभ रेखायेंः सुख - दुख का मिश्रित प्रभाव
पांच शुभ रेखायेंः पारिवारिक सुख, मित्रों का सहयोग एवं उन्नति की इच्छायें
छह शुभ रेखायेंः प्रेम संबंध बने रहना तथा विभिन्न सुखोपभोग
सात शुभ रेखायेंः जवाहरात उद्योग में लाभ
आठ शुभ रेखायेंः समस्त प्रकार के भौतिक ऐश्वर्य एवं सुख
शनि अष्टक वर्ग
शनि का अध्ययन निम्न रेखाओं के अनुसार किया जाना चाहिए -
0 शुभ रेखाः दरिद्र जीवन
एक शुभ रेखाः धन हानि एवं सम्मान न्यूनता
दो शुभ रेखायेंः निम्न स्वास्थ्य, आलस्य एवं अकर्मण्यता
तीन शुभ रेखायेंः पुत्र की तरफ से चिंता, पत्नी की तरफ से परेशानी
चार शुभ रेखायेंः उन्नति, परंतु, उन्नति दूसरों के सहयोग से पराश्रित
पांच शुभ रेखायेंः धनवान, कुटुंब सुख
छह शुभ रेखायेंः शिकारी, विरोधी पार्टी का नेता, डाकू सरदार
सात शुभ रेखायेंः कूटनीतिज्ञ, राजदूत, पशुओं को रखने वाला
आठ शुभ रेखायेंः करोड़पति, एम.पी. या मंत्री
सर्वाष्टक वर्ग
सदगुरुदेव ने स्पष्ट कहा है कि फलादेश के लिए अष्टक वर्ग पद्धति प्रामाणिक ही नहीं, पूर्ण विश्वसनीय भी है । सदगुरुदेव ने कहा है कि ग्रहों का अध्ययन जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक सर्वाष्टक वर्ग भी है । जन्म कुंडली के भावों के बारे में हम पिछली पोस्ट में पढ़ चुके हैं कि जन्मांग चक्र में कौन सा स्थान किस भाव का होता है ।
प्रत्येक भाव का स्थान निश्चित है, हालांकि प्रत्येक व्यक्ति के जन्म चक्र के अनुसार प्रत्येक भाव में राशि और ग्रहों की उपस्थित भिन्न होती है । संसार के प्रत्येक प्राणी की जन्म कुंड़ली एक दूसरे से सर्वथा भिन्न होती है । अगर 2 व्यक्ति एक साथ जन्मे हैं, तब भी उनकी जन्म कुंड़ली में फर्क आयेगा ही । क्योंकि अगर कुछ अंतर न हो तब भी जन्म समय में कुछ सेकण्ड का अंतर आ ही जाता है ।
अब बात करते हैं, इन भावों का अष्टक वर्ग की संख्याओं से क्या संबंध है । अगर हम सियाराम कुमार का सर्वाष्टक वर्ग देखें तो आखिरी कॉलम में रेखा योग आता है । इन रेखा योगों का भी कुंड़ली के भावों के साथ संबंध है -
जो भाव 20 रेखाओं से युक्त होता है वह अत्यंत कमजोर एवं दुर्बल होता है तथा, उस भाव से संबंधित जो फल है, उसमें कमी ही समझनी चाहिए ।
उदाहरण के लिए पंचम भाव यदि 20 या इससे कम रेखाओं से युक्त हो तो संतान संबंधी बाधा या कष्ट समझना चाहिए ।
जिस भाव में 25 रेखायें हों, वह भाव न तो शुभ कहलाता है और न ही अशुभ । उसे सम स्थिति में रख सकते हैं ।
जो भाव 30 रेखाओं से युक्त हो उसे श्रेष्ठ भाव कहा जा सकता है तथा उस भाव से संबंधित फल की भी श्रेष्ठता समझनी चाहिए ।
सदगुरुदेव के कथन अनुसार प्रत्येक भाव अगर निम्न रेखाओं से युक्त हो अथवा इससे ज्यादा रेखायें हों तो वह भाव समृद्ध माना जाएगा -
भाव और शुभ रेखायें
अगली पोस्ट में हम समझेंगे कि ग्रहों का आपस में मैत्री स्वभाव कैसा होता है । और इसी के साथ आपको लगभग वो सभी बुनियादी जानकारी मिल जाएगी जिसका प्रयोग करके एक सामान्य व्यक्ति भी सर्वाष्टक वर्ग देखकर, किसी ऊंचे ज्योतिषी की तरह ही फलकथन कर सकता है । आवश्यकता है तो सिर्फ अभ्यास की और विभिन्न तथ्यों को एक साथ देखने की ।
क्रमशः...
इस लेख को आप PDF में आप यहां से डाउनलोड़ कर सकते हैं -
Comentários