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काल ज्ञानः अष्टक वर्ग-6

Writer's picture: Rajeev SharmaRajeev Sharma

Updated: Sep 3, 2023

वार्षिक लग्न कुंडली के माध्यम से भूतकाल, वर्तमान और भविष्य का ज्ञान करना


अष्टक वर्ग को लेकर अब तक हमने सर्वाष्टक वर्ग बनाना सीखा है । जो सर्वाष्टक वर्ग तैयार किया गया है, ये दरअसल पूरे जीवनभर काम आता है । इन 96 वर्गों में ही जीवन के हर सवाल की कुंजी छुपी हुयी है । अब सवाल आता है कि इन 96 वर्गों से हम अपने हर सवाल का जवाब कैसे ढूंढ सकते हैं?


वैसे इस सवाल का जवाब बहुत आसान है ।


अगर हम अपनी वार्षिक लग्न कुंडली बना लें जो कि किसी भी कुंडली के सॉफ्टवेअर से बन सकती है, तो इससे हमको संबंधित वर्ष की वर्ष लग्न कुंडली के माध्यम से प्रत्येक ग्रह की स्थिति पता चल जाएगा । इसका मतलब ये हैं कि हमको ये पता चल जाएगा कि उस वर्ष, कौन सा ग्रह किस राशि में हैं ।


याद करिये, सर्वाष्टक वर्ग में हम इन 96 वर्गों को भी तो ग्रह और राशियों के संयोग से ही तो बनाते हैं । हालांकि इस सर्वाष्टक वर्ग में जो कुछ भी तैयार होता है वह जन्मांग चक्र में ग्रहों की स्थिति के हिसाब से तैयार होता है, इसीलिए तो यह सर्वाष्टक वर्ग पूरे जीवन के लिए उपयोगी होता है ।


अब अगर हम वर्ष लग्न कुंडली के माध्यम से प्रत्येक वर्ष की ग्रह स्थिति (राशि) जान लें तो हमारे लिए अपने मूल सर्वाष्टक वर्ग से ये पता करना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है कि कौन सा ग्रह किसी राशि में कितने शुभ अंक या रेखायें प्रदान करेगा ।


इसको समझने में कोई दिक्कत न हो इसलिए हम अपनी उदाहरण कुंडली, सियाराम कुमार के जन्मांग चक्र, सर्वाष्टक वर्ग को यहां फिर से रख रहे हैं -

सियाराम कुमार का जन्मांग चक्र

सियाराम कुमार का सर्वाष्टक वर्ग

अब हम सियाराम कुमार की वर्ष 2018 की वार्षिक लग्न कुंडली बनाते हैं, जो कि निम्न प्रकार है -

सियाराम कुमार की वर्ष 2018 की वर्ष लग्न कुंडली

वर्ष 2018 की इस लग्न कुंडली से आप आसानी से पता कर सकते हैं कि हमारे सूर्य, चंद्रादि ग्रह किस राशि में हैं यथा -


सूर्य - मेष राशि (क्रम में ये सबसे पहले आती है, इसलिए इसे 1 का अंक दिया जा सकता है) । इसी प्रकार से हम बाकी ग्रहों को भी अंक प्रदान करेंगे और ये अंक उस राशि का सूचक होती है जो उस क्रम में आता है । पर चूंकि आप पहली बार इस पद्धति से परिचित हो रहे हैं, इसलिए हम यहां दोनों ही तरीकों से लिखेंगे -

  1. सूर्यः मेष राशि

  2. चंद्रः धनु राशि

  3. मंगलः मकर राशि

  4. बुधः मीन राशि

  5. गुरुः तुला राशि

  6. शुक्रः वृष राशि

  7. शनिः धनु राशि

ग्रहों की इसी स्थिति को अब हम अंकों में भी प्रदर्शित करेंगे यथा -

  1. सूर्यः 1

  2. चंद्रः 9

  3. मंगलः 10

  4. बुधः 12

  5. गुरुः 7

  6. शुक्रः 2

  7. शनिः 9

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर हमने इनको अंक क्यों प्रदान किये हैं ? दरअसल जिस Excel Sheet की बात हम कर रहे थे, उसमें गणना को आसान बनाने के लिए अंकों का प्रयोग करना जरूरी है और अंक भी ऐसे जो पूरी तरह से तर्क की कसौटी पर खरे उतरें । इसलिए ग्रह की स्थिति को ही अंकों के माध्यम से प्रयोग किया गया है । आखिर, हमारा मस्तिष्क भी तो अंकों की भाषा को आसानी से समझ लेता है ।


अब इस वर्ष लग्न कुंडली के ग्रहों की स्थिति से अगर हम सर्वाष्टक वर्ग की तुलना करें तो हम आसानी से (वर्ष 2018 के लिए) प्रत्येक ग्रह की शुभ रेखायें प्राप्त कर सकते हैं, यथा -

  1. सूर्य मेष राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में सूर्य जब भी मेष राशि में आता है तो 4 शुभ रेखायें देता है ।

  2. चंद्र धनु राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में चंद्र जब भी धनु राशि में आता है तो 4 शुभ रेखायें देता है ।

  3. मंगल मकर राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में मंगल जब भी मकर राशि में आता है तो 3 शुभ रेखायें देता है ।

  4. बुध मीन राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में बुध जब भी मीन राशि में आता है तो 7 शुभ रेखायें देता है ।

  5. गुरु तुला राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में गुरु जब भी तुला राशि में आता है तो 6 शुभ रेखायें देता है ।

  6. शुक्र वृष राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में शुक्र जब भी वृष राशि में आता है तो 2 शुभ रेखायें देता है ।

  7. शनि धनु राशि में है । सर्वाष्टक वर्ग में शनि जब भी धनु राशि में आता है तो 5 शुभ रेखायें देता है ।

अब शुभ रेखाओं का मतलब क्या है, ये पहले ही बताया जा चुका है । इसके लिए आपको एक बार फिर से अष्टक वर्ग में शुभ रेखाओं का फल पोस्ट पर ध्यान देना होगा ।


यहां पर हम एक बार के लिए फिर से इन रेखाओं का फल दर्शा रहे हैं ताकि पोस्ट का क्रम बाधित न हो और आप इस परिस्थिति तो ठीक से समझ सकें -


वर्ष 2018 में सियाराम कुमार की वर्ष लग्न कुंडली के ग्रहों की स्थिति के हिसाब से उन्होंने निम्न प्रकार शुभ रेखायें प्राप्त कीं, जिनका फल साथ ही लिखा जा रहा है -

सियाराम कुमार के वर्ष 2018 का वर्ष फल

यहां ये ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी वर्ष कुंडली का प्रभाव एक जन्म तिथि से अगली जन्म तिथि तक ही रहता है । सियाराम कुमार की वर्ष 2018 की वर्ष लग्न कुंडली, 4 मई 2018 से 3 मई 2018 तक प्रभावी रहेगी ।


अभी आपने देखा कि वर्ष लग्न कुंडली के माध्यम से हम सर्वाष्टक वर्ग की सहायता से किसी भी वर्ष का वर्षफल आसानी से प्राप्त कर सकते हैं । यह वर्षफल एकदम सटीक होता है बशर्ते गणना में किसी प्रकार की त्रुटि न की गयी हो ।


इसी प्रकार से आप प्रत्येक वर्ष, जो बीत चुका है और जो आने वाला है, उसके बारे में भी आसानी से जान सकते हैं । और यही वह चाबी है जिससे हम भविष्य के अपने निर्णयों को बदल सकते हैं अथवा उन पर मंथन कर सकते हैं ।


ये 96 अंक, जब वर्ष लग्न कुंडली के माध्यम से प्रयोग किये जाते हैं तो संबंधित वर्ष के लिए एक प्रारुप खींच देते हैं कि उस संबंधित वर्ष में हमारा जीवन कैसा रहा था या रहने वाला है । अगर हम कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले हैं तो यही वह कुंजी है तो हमें सचेत कर सकती है ।


अगली पोस्ट में हम सियाराम कुमार के अगले 5 - 7 वर्षों के लिए वर्ष लग्न कुंडली का निर्माण करेंगे और उनका आने वाले कई वर्षों के वर्षफल के बारे में भी बतायेंगे ।

 

।। एक निवेदन ।।


अगर आपको यह सीरीज अच्छी लग रही है तो कृपया इन पोस्टों को लाइक अवश्य किया करें; लाइक का बटन नीचे दिया गया है । इससे हमें भी ये समझने में मदद मिलती है कि कितने लोग सदगुरुदेव प्रदत्त इस दुर्लभ ज्ञान को आत्मसात करने की इच्छा रखते हैं । मुझे व्यक्तिगत रुप से लोगों के बहुत मैसेज प्राप्त होते हैं पर मेरा आप सबसे विनम्र निवेदन है कि आप अपने प्रश्न अथवा टिप्पड़ियों को भी यहीं पर पोस्ट किया करें । इससे बाकी लोगों को भी सीखने को अवश्य मिलता है । आपके प्रश्न से उन लोगों का भी मनोबल ऊंचा होता है जो किसी झिझक वश सवाल नहीं पूछ पाते हैं ।


क्रमशः...


इस लेख की PDF फाइल आप यहां से डाउनलोड़ कर सकते हैं -



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