top of page
Writer's pictureRajeev Sharma

सद्गुरु कृपा विशेषांक - जीवन में भाव और समृद्धि


एकोहि निखिलं गुरुत्वं शरण्यं


प्रातः स्मरणीय परम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी के चरणों में मेरा कोटि - कोटि प्रणाम 🙏


इस बार बहुत समय बाद यह लेख प्रकाशित हो रहा है । बहुत कारण रहे हैं । पारिवारिक व्यस्तता तो है ही, अपने साधनात्मक जीवन की वजह से भी लेख नहीं लिख पा रहा था । उससे भी बड़ा कारण ये रहा है कि इस वेबसाइट को एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर स्थानांतरित भी किया गया है । जो लोग पहले से जुड़े हुये हैं, उन्होंने वेबसाइट को बिलकुल नये रुप में पाया होगा । और ऐसा है भी । नये फीचर जोड़े गये हैं और, कुछ फीचर आने वाले समय में जोड़े जाएंगे ।


 


सब कुछ तो भगवत् पाद परम पूज्य सदगुरुदेव महाराज की भृकुटि का इशारा ही तो है । हम लोग तो बस ये समझते हैं कि ये सब हमने अपनी इच्छा से किया है पर, वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा अलग हो सकती है ।


इस संसार में जो भी कुछ हो रहा है या होगा, वह केवल और केवल उस परम तत्व की इच्छा से ही होता है ।


लेकिन, भगवती महामाया की माया से घिरा हुआ जीव हर क्षण इस भ्रम में रहता है कि एक वही है जो सब कुछ कर रहा है । उसको लगता है कि सांसें लेने की जो क्रिया है, उसको वह करता है । उसको लगता है कि मस्तिष्क में जो विचार आते हैं, वह उसके स्वयं के हैं । उसको ये भी लगता है कि परिवार का जो भरण - पोषण हो रहा है, उसके पीछे भी केवल वही है ।


उसको तो ये भी लगता है कि अगर वह न हो तो ये सब कैसे हो सकेगा !


सांसारिक दृष्टि से देखा जाए तो यही सब सच लगता भी है । आखिरकार हम लोग ही तो काम - धाम करते हैं, भोजन पकाते हैं, बाजार से सामान लाते हैं, निद्रा लेते हैं, सुबह उठकर ऑफिस जाते हैं या व्यापार संभालते हैं, दुनिया भर की टैंशन हम लेते हैं । क्या नहीं है ऐसा, जो हम नहीं करते हैं? बीमार हो जाएं तो क्या हम डॉक्टर के पास नहीं जाते? फिर उस असहनीय कष्ट को भी तो हम लोग ही भोगते हैं जो हमारे प्रारब्ध में लिखा होता है ।


पर सब कुछ ऐसे ही नहीं है जो दिखता है ।


अभी कुछ दिन पहले का वाकया बताता हूं । किसी गुरु भाई का फोन आया तो ऐसा लगा कि जैसे भाई बहुत परेशान हो । सदगुरुदेव की आज्ञा है कि जो भी आपके पास चलकर आये, उसको जरुर सुनना है तो उसकी भी बातें तो सुननी ही थीं ।


वो बताते रहे और मैं सुनता रहा । उन्होंने ये भी बताया कि उनके जीवन में क्या - क्या परेशानी है तो सहानुभूति वश मैंने भी उनको तरीका बता दिया कि कैसे इन समस्याओं से बाहर आ सकते हैं ।


खैर 5 - 7 मिनट की इस फोन कॉल में उन्होंने मुझसे एक सवाल और पूछा - आपको अपने जीवन में क्या - क्या साधनात्मक अनुभव हुये हैं?


अब एक नितांत अपरिचित व्यक्ति को मैं क्या - क्या साधनात्मक अनुभव बता सकता हूं? फिर भी मैंने उनसे सच - सच बता दिया कि मेरे इस जीवन में जो भी कुछ है - मेरा मतलब था कि मेरी पढ़ाई - लिखाई, मेरी आय के स्रोत, जीवन में विवाह का होना और फिर परिवार का सुख, और इससे भी बढ़कर जीवन में शांति प्राप्त होना - ये सब तो सदगुरुदेव महाराज की कृपा से ही संभव हुआ है ।


मैंने बता दिया । लेकिन भाई ने कहा कि - "ये सब तो ठीक है लेकिन क्या आपको कभी गुरुजी के स्वप्न में दर्शन हुये?"


मैंने कहा कि दर्शन की क्या बात है, हमें तो उनकी सेवा करने का सुख भी प्राप्त है ।


उन्होंने कहा कि वो भाव की बात नहीं कर रहे हैं ।


मैंने कहा कि मैं भी भाव की बात नहीं कर रहा हूं । मैं तो जैसे आपसे बात कर रहा हूं वैसे ही उनसे करता हूं । उनके चरण दबाता हूं, उनकी सेवा करता हूं, उनके साथ भोजन भी करता हूं ।


और यहां मैं परम पूज्य परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी की ही बात कर रहा हूं ।


और, भाई ने जय गुरुदेव कहकर फोन काट दिया!

 

आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है? जिनके दर्शन मात्र के लिए बड़े बड़े सन्यासी, ऋषि तरसते हैं, जिनके एक इशारे मात्र से यह समस्त सृष्टि चल रही है, उन महानतम गुरु के हम जैसे साधारण साधक को न सिर्फ दर्शन भी होते हैं बल्कि उनकी सेवा भी कर पाते हैं ।


ये साधारण प्रश्न नहीं है ।


और निखिल ज्योति पर प्रकाशित लेखों को दुनिया भर में पढ़ा जाता है और यहां लिखी हुयी एक - एक बात पर लोग भरोसा करते हैं तो, एक - एक शब्द की अहमियत तो है ही यहां पर । विश्वास की कसौटी भी है यहां पर ।


इसके अलावा मेरी स्वयं की भी एक कसौटी है ।


अगर जीवन को 60 - 70 वर्ष का माना जाए तो जीवन का दो तिहाई से ज्यादा हिस्सा तो बीत ही चुका है । आखिरी के इस एक तिहाई (या जितने भी वर्ष मेरे शेष बचे हैं), उसमें मैं अपने पास कुछ भी नहीं रखना चाहता हूं । अपने इन लेखों के माध्यम से जो भी कुछ मेरे पास है, मैं अपने सभी प्रिय भाई - बहनों को दे देना चाहता हूं और स्वयं खाली होने की इच्छा रखता हूं ।


अब तो ज्ञान प्राप्त होने की भी इच्छा नहीं बची है, भौतिक समृद्धि की इच्छा तो बहुत दूर की बात है । तो जो भी है, इस संसार से ही लिया था और इसी संसार को धीरे - धीरे वापस करता जा रहा हूं और अगर जीवन में कुछ प्राप्त हो सके तो केवल एक ही इच्छा है - हे सदगुरुदेव! ये बूंद इस समुद्र में विसर्जित हो जाए


आंखों में अश्रु लिए केवल यही प्रार्थना करता रहता हूं कि हे सदगुरुदेव! आप मुझे अपनी शरण में ले लीजिए ।


यही मेरी साधना है और यही मेरी साधना पूंजी है । बाकी सब मैं सदगुरुदेव को समर्पित कर चुका हूं ।

 

इसलिए जो लोग मेरी लिखी हुयी बातों पर विश्वास करते हैं तो जान लीजिए कि ऊपर लिखी हुयी सभी बातें सच हैं । और, जो लोग इस पर विश्वास न कर पा रहे हों तो उनको एक बार यह चिंतन अवश्य करना चाहिए कि वो जिनको अपना गुरु मानते हैं, वो आखिर हैं कौन !


अब ऐसा तो हो नहीं सकता है कि गुरु की कृपा केवल मुझे ही प्राप्त हुयी हो, उनके लिए तो सब समान हैं । और अगर ऐसा है तो वह आपके भी सामने अवश्य आये रहे होंगे, तो क्या आप उनको पहचान सके थे?


वो निखिलेश्वरानंद हैं, वो स्वयं तो अनंत हैं ही, उनके स्वरूप भी अनंत हैं । ये तो उनकी इच्छा है कि वह किसके सामने किस स्वरूप में स्वयं को स्पष्ट करें । पर हम भी उनको पहचान सकें, ये दृष्टि तो हमारे पास होनी चाहिए ।


तो, अगर पहचान लिया था तो आप बहुत सौभाग्यशाली रहे हैं ।


और अगर किसी वजह से न पहचान सके हों तो, तब भी कोई बात नहीं । अपने हृदय को एक शिशु की तरह निर्मल कर लीजिए, वो भी एक मां की तरह आकर आपको अपनी गोदी में अवश्य उठा लेंगे । ऐसा अवश्य होगा क्योंकि यही एक मां का स्वभाव है ।

 

प्रश्नः अपने हृदय को शिशु की तरह कैसे बनायें?


ये तो भाव की बात है । जो पुराने साधक हैं वो जानते हैं कि आमतौर पर गुरु साधना करते - करते यह भाव स्वतः ही विकसित हो जाता है । लेकिन जो साधक नये होते हैं, उनको समझ ही नहीं आता कि आखिर ये भाव होता कैसा है!


हम भी कैसे बतायें 😇 । हमारी तो हालत गूंगे के मुंह में गुड़ जैसी है । खा तो पा रहे हैं, महसूस भी कर पा रहे हैं लेकिन बोलना तो आता ही नहीं है ।


लेकिन कुछ तरीके हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं । जैसे कि दैनिक गुरु पूजन अवश्य करें, गुरु मंत्र का निरंतर अभ्यास करते रहें, समय निकालकर सदगुरुदेव के साहित्य को पढ़ें, उनके वीडिओ सुनें और उससे भी बढ़कर, समय - समय पर संतों की वाणी को भी आत्मसात करने का प्रयास करें ।


भाव तो स्वतः ही जाग्रत हो जाएगा और, जैसे - जैसे आपकी साधना परिपक्व होती जाएगी, ये भाव भी विकसित होगा ही । इसलिए बिना इस ओर ध्यान दिये कि कितना भाव जाग्रत हो चुका है, अपने साधना पथ पर गतिशील रहें ।



एक सत्य बताता हूं - एक समय था जब मैं कथावाचकों को बेकार और फालतू के प्रवचन देने वाले समझता था । ऐसा लगता था कि सदगुरुदेव के समक्ष इन लोगों की कोई हैसियत ही नहीं है । उस समय मैं मंत्र साधनाओं में बहुत व्यस्त रहता था और ऐसा लगता था कि भगवान की कथा कहने और सुनने वाले बेकार के लोग हैं ।


और, एक समय ऐसा भी आया जब आध्यात्म के बहुत महत्वपूर्ण पहलू (केवल) श्रीराम कथा सुनने के समय ही स्पष्ट हुए ।


इस सबमें मेरी पत्नी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । मेरी ससुराल जिला बांदा में है और यह क्षेत्र चित्रकूट धाम से ही संस्पर्शित है । भगवान राम ही इनके इष्ट हैं और इस क्षेत्र में श्रीरामचरितमानस का हमेशा पाठ होता रहता है । वो हमेशा राम कथा का पाठ करती हैं और जिस दिन उनको राम कथा सुनने का बहुत मन करता है तो जहां भी श्रीराम कथा हो रही हो तो मुझे भी साथ ले जाती हैं ।


अगर कहीं आसपास श्रीराम कथा नहीं हो रही हो तो फिर वो यूट्यूब पर ही श्रीराम कथा चला लेती हैं ।


जब सद्गुरुदेव महाराज ने मेरी पत्नी के बारे में बताया था कि ये तुमको माया में नहीं फंसने देगी तो मैं इस बात को समझ नहीं पाया था कि ये आखिर होगा कैसे । लेकिन समय के साथ बहुत सारे तथ्य स्वयं ही स्पष्ट हो गये ।


अब आप इस पर कितना यकीन करेंगे, मैं नहीं जानता लेकिन श्रीराम कथा रही हो या भागवत कथा, सुनते - सुनते ही बहुत सारे तथ्य तो ऐसे ही स्पष्ट हो गये जो सालों की साधना से नहीं हो पाये थे । यहां तक कि मेरे इस जीवन में भगवती महामाया की माया का स्वरूप भी ऐसे ही स्पष्ट हुआ था । संसार की वास्तविकता तो एक पर्दे पर चलने वाली फिल्म के समान है, इसका बोध तो सद्गुरुदेव ने बहुत पहले ही करा दिया था लेकिन ये वास्तविकता में तब स्पष्ट हुयी, जब संत जनों की वाणी भी सुनना शुरु किया ।

ये सब साधना करने से बहुत अलग है । यहां भाव बहुत महत्वपूर्ण है ।



मैं यहां पर दो पूज्य संतों की यूट्यूब लिंक दे रहा हूं । समय निकालकर अवश्य सुनें । और अगर संभव हो तो इन कथाओं को अपने जीवन का हिस्सा बना लीजिए । यूट्यूब पर इनके और भी संस्करण उपलब्ध हैं । सुबह - सुबह इनको घर में बजायें । घर के काम भी करते रहें और इन कथाओं को भी सुनते रहें ।

 

मैंने अपने जीवन में जो भी पाया वह परम पूज्य सद्गुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानंद जी की कृपा और छत्र छाया में पाया है और मेरा पूरा प्रयास रहा है कि जीवन के इन आखिरी बचे हुये वर्षों में जितना भी संभव हो सकता है, उतने भाई - बहनों का हाथ पकड़कर अपने साथ लेकर चल सकूं । जितने भी लेख यहां प्रकाशित होते हैं, आप उन सबको इसका माध्यम समझ लीजिए ।


पर इसमें मंत्रों के अभ्यास के साथ - साथ भाव बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है । अगर सिर्फ मंत्र का अभ्यास करेंगे लेकिन भाव न होगा तो ये फिर वैसे ही है जैसे बुलेट ट्रेन को उसके इंजन के बिना चलाया जाए । लेखों को लिखने का अभिप्राय सिर्फ यही है कि जो भाव हमारे अंदर सदगुरुदेव महाराज ने प्रकाशित कर दिया है, उसकी एक झलक आप भी अवश्य प्राप्त कर सकें और समय रहते उसको आत्मसात भी कर सकें ।

 

जीवन में समृद्धि कैसे प्राप्त करें


अगर आप केवल धन को ही समृद्धि का आधार मानते हैं तो आप को चिंतन की आवश्यकता है । धन जीवन में जरूरी है लेकिन धन के साथ और भी पहलू होते हैं तो हमारे जीवन में बहुत आवश्यक हैं । परिवार की जरूरतें समय पर पूरी हो सकें, वह भी समृद्धि का ही प्रतीक है और जीवन में सुखी परिवार का होना भी समृद्धि का प्रतीक है । अच्छा स्वास्थ्य भी समृद्धि का ही प्रतीक है और जीवन में शत्रुओं का न होना भी समृद्धि ही कहा जाएगा ।


सदगुरुदेव प्रदत्त दरिद्रता निवारण प्रयोग आप में से बहुत से गुरु भाई - बहनों ने संपन्न किया है और सफलता पूर्वक दरिद्रता से छुटकारा पाया भी है । एक बार दरिद्रता से छुटकारा मिल जाए तब हमें गुरु मंत्र के माध्यम से ही जीवन में समृद्धि प्राप्ति का विधान अवश्य संपन्न करना चाहिए और यह समृद्धि प्राप्त होगी जब हम गुरु मंत्र को क्लीं बीज से संयुक्त करते हैं ।


समृद्धि प्रदाता गुरु मंत्र


।। ॐ क्लीं परम तत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः ।।

Om Kleem Param Tatvaay Narayanaay Gurubhyo Namah


गुरु मंत्र की शक्ति बहुत सौम्य होती है । लेकिन जैसे ही इन बीज मंत्रों का योग गुरु मंत्र के साथ किया जाता है तब गुरु मंत्र की शक्ति बहुत ही तीव्र हो जाती है, इसलिए इस साधना में बैठने के लिए गुरु आज्ञा बहुत ही आवश्यक है ।


संख्या - कम से कम डेढ़ लाख मंत्र जप अवश्य करें । इसमें आपका दशांश मार्जन, तर्पण और हवन सबका एक साथ हो जाएगा।


समय - 26 दिन से कम न रखें । उसी हिसाब से प्रतिदिन की मालाओं की गिनती कर लें ।


दिशा - जिस भी दिशा में आपके लिए सदगुरुदेव हैं, उसी दिशा की तरफ मुंह करके मंत्र जप कर लें । पता नहीं होने की स्थिति में पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके मंत्र जप कर सकते हैं ।


गुरु पूजन और गणेश पूजन - अनिवार्य है ।


वस्त्र और आसन - जो आपके गुरु को प्रिय हों, वही आप भी धारण करें । सफेद या पीले वस्त्र भी धारण कर सकते हैं ।


संकल्प - एक ही पर्याप्त है कि हे सदगुरुदेव महाराज ! हमें आपकी प्रसन्नता प्राप्त हो


यही है नये प्रारब्ध की सृष्टि । जब हम गुरु प्रदत्त गुरु साधना के माध्यम से जीवन में कुछ प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं तो गुरु ही कृपा करके हमारे लिए नये प्रारब्ध की सृष्टि कर देते हैं । तब दो प्रारब्ध एक साथ चलते हैं - आप पुराना वाला भी साथ ही भोगते हैं और नये प्रारब्ध का भी सुख आपको प्राप्त होता ही है ।

लेकिन ध्यान रहे, किसी भी साधना का पूर्ण असर एक वर्ष तक रहता है । उसके बाद उसका प्रभाव कम होता जाता है । इसलिए इस प्रकार की महत्वपूर्ण साधनाओं को प्रति वर्ष कम से कम एक बार तो संपन्न कर ही लेना चाहिए ।


 

आयुर्वेद और हमारा जीवन


विचार तो यही था कि एक अलग से श्रृंखला ही इस पर प्रकाशित की जाए लेकिन समयाभाव के कारण ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है । इसके अलावा विचार यह भी आया कि विशुद्ध आयुर्वेद का हमारे प्रिय भाई - बहन तो प्रयोग ही नहीं कर सकेंगे । आखिर जड़ी बूटियां कौन लायेगा, पहचान कैसे करेंगे और उससे भी बढ़कर, अपनी व्यस्त पारिवारिक जिंदगी को किनारे करके सिर्फ आयुर्वेद को समय कैसे दे सकेंगे ।


इसलिए बहुत विचार करने के बाद निर्णय यह लिया है कि आप सबके समक्ष कुछ बेहतरीन आयुर्वेदिक दवाओं और उत्पादों के बारे में यहां समय - समय पर बता दिया जाए । 1 - 2 बार आप इन चीजों को ट्राई अवश्य करें । बाकी तो आप समझदार हैं ही, अपना चुनाव स्वयं करने में सक्षम हैं । हमारा उद्देश्य केवल इतना है कि हर छोटी - छोटी चीज के लिए डॉक्टर के पास भागना उचित नहीं है ।


इनमें से कुछ चीजें आपको निखिल ज्योति ब्लॉग पर Shop पर ही मिल जाएंगी । बाकी जो बाजार में उपलब्ध हैं, उनको आप कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन उनके बारे में जानकारी आपको यहां से मिल जाएगी कि उनको इस्तेमाल कैसे करना चाहिए और उनको इस्तेमाल करने के फायदे क्या - क्या हो सकते हैं ।


Reishi Gano Tea (रेशी गैनो चाय)


चाय तो हम सब पीते हैं । चाय एक बहुत ही बेहतरीन पेय पदार्थ है और सैकड़ों सालों से बहुत से देशों में चाय का सेवन हो ही रहा है और मेरा भी मानना है कि सबको चाय पीनी ही चाहिए । कारण कि इसमें फ्लेवेनॉइड होते हैं । और ये हमारी उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं ।


चाय पीने के और भी फायदे हैं लेकिन चाय को लेकर सारी कहानी मजेदार ही हो, जरूरी नहीं है । हम सब जानते हैं कि बाजार में बहुत सारे ब्रांड पहले से मौजूद हैं । यहां किसी भी ब्रांड की आलोचना करना हमारा काम नहीं है लेकिन जो तथ्य हैं, वह तो सामने रखे ही जा सकते हैं । आप किसी भी ब्रांड की चाय उठा लीजिए, कोई भी ब्रांड ऐसा नहीं मिलेगा जिसकी चाय में पेस्टीसाइड (कीटनाशक पदार्थ) न मौजूद हों । दरअसल चाय के पेड़ पर कीड़े लगते ही हैं और चाय कंपनियां इन कीड़ों को मारने के लिए पेस्टीसाइड का इस्तेमाल करती हैं । लेकिन आप शायद न जानते हों, ये पेस्टीसाइड दरअसल जहर होते हैं । जिस जगह पर पेस्टीसाइड का स्प्रे हो रहा हो, आप वहां बिना मास्क लगाये 2 मिनट नहीं ठहर सकते ।


और, यही पेस्टीसाइड बाद में इन चाय के माध्यम से आपके शरीर में आ जाते हैं । और, इनका दुष्प्रभाव ... अपने चारों तरफ नजर उठाकर देख लीजिए । रक्त चाप, डायबिटीज, लिवर की बीमारियां ... और भी न जाने क्या - क्या । कहां से आ रही हैं ये सब बीमारियां?


मैं ये नहीं कहता कि सबके पीछे सिर्फ चाय ही है । लेकिन ये एक महत्वपूर्ण कारक अवश्य है ।


इसके अलावा, आपने ये भी देखा होगा कि आप चाहें कितनी भी अच्छी चाय पी रहे हों, एक बार में ज्यादा से ज्यादा 2 कप ही पी सकेंगे । और, अगर ज्यादा चाय पीएंगे तो पेट में एसिडिटी की समस्या होना बहुत आम बात है ।


मैं आपको चाय पीना छोड़ने के लिए नहीं कह सकता, चाय पीना हमारी संस्कृति का हिस्सा बन चुका है । लेकिन चाय का ब्रांड बदलने के लिए अवश्य कह सकता हूं ।

DXN  Reishi Gano Tea
DXN Reishi Gano Tea

DXN की इस चाय का नाम Reishi Gano Tea (रेशी गैनो चाय) है । इसका ये नाम इसमें मौजूद एक मशरुम की वजह से है ।


मशरुम को हिंदी में कुकुरमुत्ता कहा जाता है । दुनिया भर में मशरुम की हजारों प्रजातियां हैं । कुछ मशरुम बहुत जहरीले होते हैं लेकिन मशरुम की कुछ प्रजातियां ऐसी भी होती हैं जिनको हम जीवनदायी भी कह सकते हैं ।



ऐसी ही कुछ जीवनदायी प्रजातियों में से एक है, गैनोडर्मा । इसमें हजारों प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर में पहुंचकर हमारे शरीर को प्राकृतिक रुप से पुष्ट करते हैं और, हमारे शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त करने में भी मदद करते हैं ।


बाजार में गैनोडर्मा की कीमत लाखों रुपये प्रति किलो है । DXN इसी गैनोडर्मा को अपने मलेशिया वाले प्लांट में उगाता है, उनको प्रोसेस करके इस लायक बनाता है कि उनको खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जा सके ।


इस चाय में भी गैनोडर्मा 2% के हिसाब से मिक्स किया जाता है ताकि इस चाय को औषधीय रुप दिया जा सके । DXN आपको जो चाय दे रहा है, वह पूरी तरह से सर्टिफाइड ऑर्गेनिक (जैविक) है और इसमें किसी भी प्रकार के पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं किया जाता है।


इसके औषधीय गुणों के अलावा 250 ग्राम की ये चाय 5 व्यक्तियों के एक सामान्य परिवार में कम से कम 2 महीने तक चल जाती है बशर्ते इसको बिना दूध का ही बनाया जाए ।


तो, अगर आप इसको निर्देशित तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो ये न सिर्फ आपको स्वस्थ रहने में मदद करेगी, बल्कि आपके रसोई का बजट भी कम कर सकती है । एक बार इस्तेमाल करके तो देखिये ।


बाकी की जानकारी आपको प्रोडक्ट पेज पर ही मिल जाएगी । मैं यहां नीचे इसका लिंक दे रहा हूं -


 

समृद्धि - यही तो हमारी आज की पोस्ट का उद्देश्य है । शरीर का कायाकल्प होना भी समृद्धि है और, घर में रसोई का बजट कम होना भी समृद्धि ही है । ये तो शुरुआत है, धीरे - धीरे आपका परिचय और भी बेहतरीन चीजों से होगा ही :-)


आप सब अपने जीवन में समृद्धि प्राप्त कर सकें, ऐसी ही शुभेच्छा है ।


अस्तु ।


 


Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page